नई टिहरी
ये कोरोना का ही कहर है जिसने रोटी की तलाश में गांव छोड़कर सैकड़ों मील दूर गये उत्तराखंडी प्रवासियों को आखिर घर लौटने को मजबूर कर दिया, टिहरी तहसील के कोटी कॉलोनी के समीप लगे गांव जाख प्रवासी लोग अपने घरों में लौट कर आ गए हैं अब वह खेती-बाड़ी कर रहे हैं
इन प्रवासियों के घर लौटने पर न सिर्फ इनके वृद्ध माता-पिता और सगा संबंधी प्रसन्नचित्त नजर आ रहे हैं, बल्कि सन्नाटा पसरा गांव में रौनक से आ गई है,
प्रवासियों के घर लौटने पर न केवल टूटे-फूटे मकानों की मरम्मत होनी शुरू हो गई है, बल्कि खेत-खलियान भी आबाद होते नजर आ रहे हैं।
ये कोरोना है जसके प्रकोप से उजाड़ होते गांव रौनक में तब्दील होते दिख रहे हैं,
बरसों से अपने बुढ़ापे की लाठी/सहारा को अपने सामने देखने को बेचैन बुजुर्ग मां-बाप के आंखों में उस वक्त आंसू छलक आए जब उनके पुत्र, पुत्र वधू और पोते अपने गांव घर के दरवाजों की देहलीज पर पहुंचे।स्थानीय कहना है कि सरकार हमारी रोजगार की व्यवस्था कर दे हम अपने गांव से पलायन नहीं करेंग लेकिन हम खेती-बाड़ी कर रहे हैं जंगली जानवर इसका नुकसान कर रहे हैं सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिये।
रौनक:प्रवासियों के घर लौटने पर न केवल टूटे-फूटे मकानों की मरम्मत होनी शुरू हो गई है, बल्कि खेत-खलियान भी आबाद होते नजर आ रहे हैं।