टिहरी
कोरोना महामारी ने इस वर्ष उत्तराखंड तीर्थों की चारधाम यात्रा को तो संकट में डाल ही दिया। विश्व प्रसिद्ध तीर्थ धाम गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह से यानि 26 अप्रैल को प्रस्तावित है,
विश्व प्रसिद्ध गंगंगो तीर्थधाम के कपाट आगामी 26 अप्रैल को श्रद्धालुओं के लिये खुलेगें। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पावन अवसर पर बीते बुधवार को गंगोत्री मंदिर समिति तीर्थ पुरोहितों ने निर्धारित यह तीथी किया है।
गंगोत्री मन्दिर समिति के अध्यक्ष पंडित सुरेश सेमवाल ने बताया कि
ज्योतिषीय गणना के अनुसार श्री गंगोत्री धाम के कपाट 26 अप्रैल 2020 रविवार के दिन 12:35 रोहिणी नक्षत्र सर्वार्थ अमृत योग शुभ बला शुभ लग्न पर अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रों के साथ कपाट तो खुल जायेगें ,लेकिन कोरोना हमामारी के चलते देश- विदेश से आने जाने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन पर न आने की अपील की हैं
जब लोगों के घरों से निकलने की पाबंदी हो और मंदिर मस्जिद सभी बंद हों तो फिर चारधाम यात्रा की संभावनाएं स्वत ही क्षीण हो जाती हैं।
इस बार यमुनोत्री धाम की बढ़ी मुश्किले
इस तरह देखा जाए तो इन हिमालयी तीर्थों के दर्शनों की शुरुआत 26 अप्रैल से होनी है, जिसके लिए कम से कम दो दिन पहले ऋषिकेश से इस वर्ष की यात्रा का श्रीगणेश होना है। जब कोरोना के खौफ से देश के सारे मंदिर और मस्जिद श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए हैं तो हिमालय के पवित्र गंगोत्री और यमुनोत्री में श्रद्धालुओं का स्वागत होगा, ऐसा संभव नहीं लगता है। वैसे भी इतिहास गवाह है कि गढ़वाल में हैजा और चेचक जैसी महामारियां तीर्थ यात्रियों के माध्यम से आती थीं और यात्रियों से संक्रमित डण्डी-कण्डी वाले पोर्टरों के माध्यम से पहाड़ के गांंवों तक पहुंचती थीं।
यात्रा को लेकर सरकार भी असमंजस में
इस वर्ष की यात्रा के लिए धार्मिक औपचारिकताएं शुरू हो गई हैं मगर कोरोना संकट खौफजदा उत्तराखण्ड सरकार को इस बारे में कुछ भी नहीं सूझ रहा है। राज्य सरकार वैसे ही संसाधनों के साथ ही अनुभव की कमी से जूझ रही है। यदि इसके बाद लाॅकडाउन खुल भी गया तो भी कम से कम मई के महीने तक मंदिरों में यात्रियों को प्रवेश मिलने की संभावना काफी क्षीण ही है। और जून के दूसरे पखवाड़े से मानसून शुरू हो जाता है।
इधर जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने बताया कि की यमुनोत्री यात्रा सड़क मार्ग से 5 किलोमीटर पैदल है । इसमें यात्रियों की आने जाने के लिए जिला पंचायत ही घोड़ा खच्चर डंडी कंडी साफ सफाई व्यवस्था करवाता है लेकिन रोना महामारी के चलते अभी तक उक्त कामों को संचालन करने के लिए निविदाएं आमंत्रित नहीं की गई है वैसे भी 15 अप्रैल के बाद यात्रा के लिए केवल 10 दिन बचते हैं और इतने कम समय में लाखों लोगों के आगमन के लिए परिवहन, सफाई, पेयजल, आवास, चिकित्सा और भोजन आदि के साथ ही मंदिर में टनों के हिसाब से भोग और पूजा सामग्री की व्यवस्था करना आसान नहीं है।
वही राज्य सरकार वैसे ही मंदिर समिति को समाप्त कर नए चारधाम देवस्थानम् बोर्ड का गठन कर चुकी है जिसमें नौकरशाहों की भरमार है जिन्हें यात्रा का संचालन करने का अनुभव नहीं है। उत्तराखण्ड की आर्थिकी। काफी हद तक चारधाम यात्रा पर निर्भर है और अगर यात्रा नहीं चली तो भुखमरी की नौबत आ सकती है।
संकट में यात्रा: कोरोना महामारी ने उत्तराखंड तीर्थों की चारधाम यात्रा संकट में