उत्तरकाशी के वीरपुर डुंडा में लोसर पर्व की धूम जोर शोरों से चल रही है।
बौद्ध पंचांग के अनुसार नए साल के आगमन पर में मनाया जाने वाला लोसर पर्व जिसमें दिवाली, दशहरा, होली तीनों एक साथ मनाई जाती है ।यह पर्व इस बार 23 फरवरी की रात से शुरू थी जो आज बुधवार को संपन्न होगी । रोग दुख दरिद्र और बुरे ग्रहों की शांति के लिए अपने घरों से लाया वह आटा अपनी ओर घुमा कर डालते हैं।और घर जाते हुए छोटे छोटे पत्थर लेकर जाते हैं तथा एक दूसरे के घर इन पत्थरों को भेंट करते हैं। दूसरे दिन नए साल के रूप में मनाया जाता है इस दिन सुबह उठकर पूजन कर अपने इष्ट देव को हरियाली चढ़ाकर एक दूसरों के घर जाकर हरियाली बांटते हैं तथा राम-राम कहते हैं तीसरे दिन मेहमानों की आवभगत होती है, इस दिन गांव से बाहर ब्याही गई बेटियां भी घर आती हैं और उनकी आवभगत विशेष भोजन व पकवान बनाकर की जाती है तथा मेहमानों को भोजन व पकवान के साथ देवभोग छंग परोसा जाती है।इस दिन पूरे गांव में उल्लास का माहौल रहता है लोसर का आखिरी दिन आटे की होली खेली जाती है,थापा किन्नौरी समुदाय के लोग इस दिन अपने पुराने झंडे उतारकर नए झंडे लगाते हैं जिन पर शुभकारी मंत्र लिखा होता है कहा जाता है कि झंडा में लिखे मंत्र हवा के साथ स्व उच्चारण होता हैं ।और सुख समृद्धि मिलती है। तथा जाट भोटिया समुदाय के लोग रिंगाली देवी के मंदिर में पूजा अर्चना कर देव डोली के साथ रासो नृत्य तथा भजन कीर्तन करते हैं।
पर्व :वीरपुर डुंडा में लोसर पर्व की धूम जोर शोरों से चल रही है।