नई टिहरी आज महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर नई हरी देवलसारी सत्येश्यार ओणेश्वरऔर कोटेश्वर महादेव की तरह दूसरे। शिवालयों में भी भक्तों की अपार भक्ति देखने को मिली।
महाशिवरात्रि के व्रत के उपरांत अगले दिन प्रातः स्नानादि करके 12 ब्राह्मणों को भली प्रकार पूजकर तिल और पकवानों से भरे हुए 12 घड़े/धातु के कलश दक्षिणा सहित अर्पण करने का शास्त्रों में निर्देश है। यदि 12 ब्राह्मणों को 12 घड़े दान देने में अशक्त हो तो एक ब्राह्मण को एक घड़ा पकवानों से भरकर दक्षिणा सहित अर्पण करें। ऐसा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं एवं सद्गति देते हैं।
ये कहना है कि देवलसारी में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर व्रत 21 फरवरी शुक्रबार
प्रातःकाल स्नान करने के बाद शिवजी की पूजा करके द्वादश नामों से ब्राह्मणों को तिलवा पकवान से भरे हुए 12 घड़ों या धातु के कलश को देकर व्रत को इस मंत्र को पढ़कर अर्पण करें कि जो मैंने आज पुण्य किया और जो व्रत किया है वह महादेव आपको अर्पण किया है भगवान आप प्रसन्न हो और मेरी सद्गति करो हे महाराज आपके देखने मात्र से मैं प्रवेश हुआ हूं इसमें संशय नहीं है फिर ब्राह्मणों को भोजन कराकर पूर्व निश्चय किए हुए काल में अपने परिवार सहित पारणा करें।
संसारमनोशदा धस्य वृतनानेन शंकरा प्रसीद सुमुखो नाथ ज्ञान दृष्टो प्रदो भव इति। इति शिवरात्रि व्रत संसार क्लेशों से दग्ध हुए मेरे व्रत से है शंकर आप प्रसन्न हो और ज्ञान दृष्टि कर दो।
आस्था:देवलसारी में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तो का लगा तांता